नाम कहा तेरो री प्यारी
बेटी कोन मेहर की है तू, को तेरी महतारी!!
धन्य कोख जिहिं तोको राख्यो, धनि घरी जिही अवतारी!
धन्य पिता मता तेरे. छवि निरखती हरी-महतारी !!
मैं बेटी वरश्भाणु मेहर की . मैया तुमको जानतीं !
जमुना-तट बहु बार मिलन भयो, तुम नाहीं पहचानतीं!!
ऐसी कहि, वाको मैं जानती , वेह तो बड़ी छिनारि !
मेहर बड़ो लैंगर सब दिन को, हंसति देती मुख गारि!!
राधा बोलि उठी, बाबा कछु , तुमसो ढीठो कीन्हों !
ऐसे समरथ कब मैं देखे, हंसी प्यारिहीं उर लीन्हो !
मेहरी कुंवारी सों यह कहि भासती, आऊ करों तेरी चोटी!
सूरदास हर्षित नंदरानी, कहती मेहरी हम जोटी!!
0 comments:
Post a Comment