कृष्ण लीला-
हरि कोललित बदननिहारु |
निपटाही डाँटती निठुरज्यो लकुटकरते डरु||
मंजू अंजनसहित जल-कन चुक्तलोचन-चारू|
श्याम सरसमग मनोससी स्त्रवतसुधा-सिंगारू||
सुभग उर, दधी बूंदसुन्दर लखीअपनपौ वारू|
मनहु मरकतमृदु सिखरपरलसत बिषाद तुषारु||
कान्ह्हू पर स्तरभोंहे,महरीमनाही बिचारु|
दास तुलसी रहित क्यों रिस निरखि नन्द कुमारु
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