प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से एक संवेदना जागृत हो ।

Wednesday, January 25

कृष्ण लीला







कृष्ण लीला-
हरि कोललित बदननिहारु |
निपटाही  डाँटती निठुरज्यो लकुटकरते डरु||
मंजू अंजनसहित जल-कन चुक्तलोचन-चारू|
श्याम सरसमग मनोससी स्त्रवतसुधा-सिंगारू||
सुभग उर, दधी बूंदसुन्दर लखीअपनपौ वारू|
मनहु मरकतमृदु सिखरपरलसत  बिषाद तुषारु||
कान्ह्हू  पर स्तरभोंहे,महरीमनाही बिचारु|
दास तुलसी रहित क्यों रिस निरखि नन्द कुमारु
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