प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से एक संवेदना जागृत हो ।

Wednesday, January 25

तू दयाल,दीन हूँ,






तू  दयाल,दीन हूँ,तूदानि, हूँबिखारी |
हूँ  प्रसिद्ध  पातकी,   तू   पापपुन्जहारी||   
नाथ    तू   अनाथ  को,अनाथ  कौन   मोसो |
मो  समान  आरत   नहि,आरतिहर  तोसो ||
ब्रहम  तू, हूँ  जीव,तू  है  ठाकुर, हूँ  चेरो |
तात,मात,गुरु,सखा  तू   सब   बिधि   हितु   मेरो||
तोही  मोहि  नाते  अनेक,मानिये   जो    भावे|
ज्यो त्योंतुलसी कृपालु,चरण-सरनपावे ||
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