प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से एक संवेदना जागृत हो ।

Thursday, September 6

हास्य-ध्यान



 It costs nothing, but creates much. It enriches those who receive, without impoverishing those who give. It happens in a flash and the memory of it sometimes lasts forever.” Dale Carnegie on smiling
" चुटकले का उद्देश्य चुटकुला ही नहीं है । इससे पौदा होने वाला हास्य है क्योकि हास्य के उन क्षणों में तुम्हारे विचार रुक जाते है। उस हंसी में मन नहीं रह जाता और हंसी के बाद एक छोटा सा अन्तराल और मेरी बात तुम्हारे गहनतम केंद्र तक प्रवेश कर जाती है "।
"आनंदित व्यक्ति में व्यक्तित्व होता है; दुखी व्यक्ति में कोई व्यक्तित्व नहीं होता। दुखी व्यक्ति भीड़ का हिस्सा होता है; आनंदित व्यक्ति व्यक्ति होता है, उसमे एक निजता होती है। और आनंदित व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता को किसी भी मूल्य पर खोने को राजी नहीं हो सकता, क्योंकि वह जानता है उसका आनंद भी उसी क्षण खो जाएगा जिस क्षण स्वतंत्रता खोएगी।"
ओशो
  • मुन्ना स्कूल जा रहा था। ढब्बू जी ने देखा, उसने बस्ता भी उठा रखा है और सीढ़ी भी। उन्हें बड़ी हैरानी हुई। मुन्ने से पूछने लगे, यह सीढ़ी लेकर किधर जा रहे हो, साहब?'
    पापाजी, मास्टरजी ने कहा है कि मैं इम्तिहान में पास हो गया हूँ और आज से ऊपर की क्लास में बैठूगां।' मुन्ने ने जवाब दिया।

  • मुन्ना भागता हुआ ढब्बूजी के पास आया और बोला, पापा, पापा! आज हमारे नए पड़ोसी ने मुझसे मेरा नाम पूछा।'
    ढब्बूजी खुश हो गए। उत्साहित होकर बोले, 'शाबाश! फिर?'
    'फिर उन्होने पुलिसवालों को दे दिया!'

  • मुन्ना सुबह से पेड़ के नीचे खड़ा था। एक सज्जन दो-तीन बार वहां से गुजरे और मुन्ने को ज्यों का त्यों खड़ा देखकर बड़े प्रभावित हुए। आखिर उनसे नहीं रहा गया तो वे ढब्बूजी के पास जाकर बोले, 'ढब्बूजी, आपका मुन्ना बड़ा ही शरीफ है! सवेरे से एक ही जगह चुपचाप खड़ा है!'
    ढब्बूजी ने कहा, 'भाई साहब, दरअसल, आज मुन्ना ने पहली बार गले में टाई बाँधी है और वह यह समझकर चुप खड़ा है कि किसी ने उसे पेड़ से बाँध दिया है।'

  • एक दिन एक बुजुर्ग ढब्बूजी के पास आए। बड़े दुःखी लग रहे थे। आते ही ढब्बूजी से मुन्ने की शिकायत करने लगे, 'अपने मुन्ने की हिम्मत तो देखो! उसने मुझे बूढ़ा घोड़ा कहा। बताओ, अब मैं करूं तो क्या करूं?'
    'आप कुछ मत कीजिए।' ढब्बूजी ने उन्हें समझाया, 'बहुत जल्द मैं एक तांगा खरीदने वाला हूं..'

  • ढब्बूजी डॉक्टर को फोन कर रहे थे - 'डॉक्टर साहब! मेरी पत्नी को सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही है। बुखार तो इतना है कि आप बदन छू नहीं सकते। पिछले दस घंटे से वह बेहोश है। अगर एकाध महीने में इस ओर आपका चक्कर लगे तो यहाँ आना भूलिएगा नहीं!'

  • 'पिताजी! हमारी घड़ी का घंटा यदि तेरह बार बजे तो वह क्या वक्त होगा?'
    'बेवकूफ मुन्ने! ऐसा कोई वक्त नहीं होता!'
    'गलत! वह घड़ी ठीक करवाने का वक्त होता है।'

  • मुन्नाः पिताजी, अगर मैं आपको दस रूपये के घाटे से बचा लूं तो आप मुझे पांच रुपए देंगे?
    ढब्बूजीः जरूर!
    मुन्नाः तब निकालिए पांच का नोट! आपने वचन दिया था कि अगर मैं इम्तिहान में पास हो गया तो आप मुझे दस रूपये देंगे। मैं फेल हो गया हूं।
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