प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से एक संवेदना जागृत हो ।

Monday, December 16

राधे तेरी पायल श्याम तेरी बंसी युही बजती रहे


(1) Sada mere dil ko teri aahat rahe
    kripa ki teri najare yuhi kayam rahe
    teri ankhiyon se nor sada barsta rahe
    teri payal our bansi yunhi bajati rahe
    सदा मेरे दिल को तेरी आहट रहे 
    कृपा की तेरी नजरे युही कायम रहे 
    तेरी अखियो से नूर सदा बरसता रहे 
    तेरी पायल और बंसी युही बजती रहे 

(2) prem jivan me rain basera rahe

    ek pal bhi mera tujh se juda na rahe
    akhiyan se anshu pravah ham kare
    teri payal our banshi yunhi bajati rahe
    प्रेम का जीवन में रैन बसेरा रहे
    एक पल भी मेरा तुझसे जुदा ना रहे
    अखियन से आँसू प्रवाह हम करे
    तेरी पायल और बंसी युही बजती रहे

(3) teri karuna ki barsat ham par hoti rahe

    suman sa mahake ye ghar ka aangan
    tere swagat me push varsha hoti rahe
    teri payal or banshi yunhi bajati rahe
    तेरी करुणा की बरसात हम पर होती रहे  
    सुमन सा महके ये घर का आगन
    तेरे स्वागत में पुष्प की वर्षा होती रहे
    तेरी पायल और बंसी युही बजती रहे

(4) satyta se jivan ham yapan kare

    munh me madhuray ras ghulta rahe
    yah meri fariyad puri kare
    satya prem karuna se jivan mahakta rahe
    radhey teri payal shyam teri banshi yunhi bajati rahe
    सत्यता से जीवन हम यापन करे 
    मुँह में माधुर्य रस घुलता रहे
    यह मेरी फरियाद पूरी करे
    सत्य प्रेम करुणा से जीवन महकता रहे
    राधे तेरी पायल श्याम तेरी बंसी युही बजती रहे

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Wednesday, August 28

नन्दरानी की खुली तकदीर बधाई बाज रही



नन्दरानी की खुली तकदीर बधाई बाज रही
नन्दरानी की खुली तकदीर बधाई बाज रही 


बाबा लुटावे अन्न धन सोना ..मैया लुटावे माखन लोना..
नाच रही सब भीर..बधाई बाज रही
नन्दरानी की खुली तकदीर बधाई बाज रही
ढोलक और नगाड़े बाजे..शंकरजी का डमरू बाजे..
बाज रही मुरली..बधाई बाज रही
नन्दरानी की खुली तकदीर बधाई बाज रही ..

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Friday, August 9

HARIYALI TEEJ









Hariyali Teej or Hariyali Teej Vrat (Singhara Teej or Teejan) is a vrat or puja observed on the third day just after Hariyali Amavasya, in Shravan Month (July – August) of North Indian Hindi calendar. In 2013 Hariyali Teej date is 9th  august . This vrata is dedicated to Lord Shiva and Goddess Parvati. It is observed mainly by married and unmarried women of Rajasthan, Uttar Pradesh, Bihar, Madhya Pradesh
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Wednesday, January 23

मै तो तेरे रंग में रंगी...


मै तो तेरे रंग में रंगी...
तेरी जुस्तजू मुझे हर घड़ी...
जाऊ-मै-जाऊ पिया की गली..मै....तो तेरे रंग में रंगी...मै तो तेर रंग में रंगी..
पिया.....पिया.......पिया.......

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Sunday, January 13

स्वामी हरिदास जी


परिचय
श्री बांकेबिहारीजी महाराज को वृन्दावन में प्रकट करने वाले स्वामी हरिदासजी का जन्म विक्रम सम्वत् 1535 में भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी (श्री राधाष्टमी) के ब्रह्म मुहूर्त में हुआ था। आपके पिता श्री आशुधीर जी अपने उपास्य श्रीराधा-माधव की प्रेरणा से पत्नी गंगादेवी के साथ अनेक तीर्थो की यात्रा करने के पश्चात अलीगढ जनपद की कोल तहसील में ब्रज आकर एक गांव में बस गए। श्री हरिदास जी का व्यक्तित्व बड़ा ही विलक्षण था। वे बचपन से ही एकान्त-प्रिय थे। उन्हें अनासक्त भाव से भगवद्-भजन में लीन रहने से बड़ा आनंद मिलता था। श्री हरिदासजी का कण्ठ बड़ा मधुर था और उनमें संगीत की अपूर्व प्रतिभा थी। धीरे-धीरे उनकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गई। उनका गांव उनके नाम से विख्यात हो गया। हरिदास जी को उनके पिता ने यज्ञोपवीत-संस्कार के उपरान्त वैष्णवी दीक्षा प्रदान की। युवा होने पर माता-पिता ने उनका विवाह हरिमति नामक परम सौंदर्यमयी एवं सद्गुणी कन्या से कर दिया, किंतु स्वामी हरिदास जी की आसक्ति तो अपने श्यामा-कुंजबिहारी के अतिरिक्त अन्य किसी में थी ही नहीं। उन्हें गृहस्थ जीवन से विमुख देखकर उनकी पतिव्रता पत्नी ने उनकी साधना में विघ्न उपस्थित न करने के उद्देश्य से योगाग्नि के माध्यम से अपना शरीर त्याग दिया और उनका तेज स्वामी हरिदास के चरणों में लीन हो गया।

विक्रम सम्वत् 1560 में पच्चीस वर्ष की अवस्था में श्री हरिदास वृन्दावन पहुंचे। वहां उन्होंने निधिवन को अपनी तपोस्थली बनाया। हरिदास जी निधिवन में सदा श्यामा-कुंजबिहारी के ध्यान तथा उनके भजन में तल्लीन रहते थे। स्वामीजी ने प्रिया-प्रियतम की युगल छवि श्री बांकेबिहारीजी महाराज के रूप में प्रतिष्ठित की। हरिदासजी के ये ठाकुर आज असंख्य भक्तों के इष्टदेव हैं। वैष्णव स्वामी हरिदास को श्रीराधा का अवतार मानते हैं। श्यामा-कुंजबिहारी के नित्य विहार का मुख्य आधार संगीत है। उनके रास-विलास से अनेक राग-रागनियां उत्पन्न होती हैं। ललिता संगीत की अधिष्ठात्री मानी गई हैं। ललितावतार स्वामी हरिदास संगीत के परम आचार्य थे। उनका संगीत उनके अपने आराध्य की उपासना को समर्पित था, किसी राजा-महाराजा को नहीं। बैजूबावरा और तानसेन जैसे विश्व-विख्यात संगीतज्ञ स्वामी जी के शिष्य थे। मुग़ल सम्राट अकबर उनका संगीत सुनने के लिए रूप बदलकर वृन्दावन आया था। विक्रम सम्वत 1630 में स्वामी हरिदास का निकुंजवास निधिवन में हुआ।
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